राजस्थान की रहने वाली 30 वर्षीय छवि राजावत ने प्रबंधन पाठ्यक्रम (एमबीए) की डिग्री लेने के बाद कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया। लेकिन छवि कुछ अलग करना चाहती थी इसलिए उसने सब कुछ छोड़कर अपने गांव की ओर रुख किया और गांव का कायाकल्प करने की ठानी। इस तरह छवि बन गई अपने ही गांव की पहली एमबीए सरपंच।
जयपुर के पास बसे एक छोटे से गांव सोडा में छवि राजावत सरपंच के पद पर नियुक्त हैं। छवि के माता-पिता इस गांव में पहले रहते थे। छवि की पढ़ाई दिल्ली और बेंगलुरु में हुई है। एमबीए करने के बाद छवि ने कई कंपनियों में काम किया। अब उसका खुद का एक होटल है और घोड़ों का अस्तबल है। छवि को घुड़सवारी का शौक है।
सोडा गांव के पंचायत घर में छवि विकास का लेखा-जोखा तैयार करती है। नरेगा के काम को भी बखूबी पूरा करने की कोशिश करती है। सोडा गांव में पानी की भारी किल्लत है। छवि की प्रथमिकता गांव को स्वच्छ पानी मुहैया कराने की है। सोडा गांव का विकास ही छवि का मिशन हैं।
बड़ी नौकरियों के पीछे भाग रहे लोगों के लिए छवि एक मिसाल बन गई है। छवि ने दिखाया है की कड़ी मेहनत, पक्के इरादे और अनुशासन के बूते उन लोगों की मदद की जा सकती है जिन्हें उसकी जरुरत है। छवि सरपंच पद के जरिए गांव का विकास ही नहीं बल्कि महिलाओं को उनके
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